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मुंबई : भीड़ के चलते लोकल ट्रेन से गिरकर यात्री मरते हैं। इन हादसों पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे ने बंद दरवाजों की एसी लोकल का प्लान बनाया था। योजना के मुताबिक ‘एमयूटीपी’ में रेलवे को ४७ रैक खरीदने की मंजूरी भी मिल गई। मुंबई में फिलहाल एसी के १० से अधिक रेक अभी भी कारशेड में पड़े हैं लेकिन इन्हें चलाने की अभी रेलवे ने कोई प्लानिंग नहीं की है। ये वहां यार्ड में पड़े धूल फांक रहे हैं। वहीं रेल अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि एसी लोकल को यात्रियों का अच्छा प्रतिसाद नहीं मिल रहा, जबकि जो लोग एसी लोकल का टिकट खरीदते हैं, उनका कहना है कि पर्याप्त सेवाएं नहीं होने के कारण एसी लोकल को रेस्पॉन्स नहीं मिल पा रहा।

मध्य रेलवे में सीएसटी से कल्याण और पश्चिम रेलवे में चर्चगेट से विरार के बीच एसी लोकल की सेवाएं चलाई जा रही हैं। गोरेगांव निवासी अभय मिश्र का कहना है कि यदि रेलवे को बिजनेस चाहिए, तो व्यस्ततम समय में ज्यादा सेवाएं चलानी होंगी या फिर एसी लोकल को धीमी लाइन पर चलाना होगा। कई यात्री एसी लोकल में सफर करना चाहते हैं लेकिन हॉल्ट न होने के कारण सफर नहीं कर पा रहे हैं।

एसी लोकल के एक और रैक को शामिल करने का मतलब है १०-१२ सामान्य सेवाओं की बलि देना। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि मौजूदा किसी सामान्य लोकल के टाइमटेबल को नहीं बिगाड़ा जा सकता है। ऐसा करने पर पब्लिक का विरोध भी झेलना पड़ता है।

कुछ अधिकारियों ने सुझाव दिया कि यदि मौजूदा लोकल में ही फर्स्ट क्लास के डिब्बों को धीरे-धीरे एसी डिब्बों से रिप्लेस करें, तो बात बन सकती है। सामान्य लोकल सेवाएं प्रभावित न हों, इसके लिए सेमी एसी लोकल चलाने की योजना बनाई गई। इसमें आधे डिब्बे द्वितीय श्रेणी के होंगे, तो आधे डिब्बे वातानुकूलित होंगे।

एक सामान्य १२ डिब्बों की लोकल में ३,५०४ यात्री समाहित हो सकते हैं। इनमें से १,१६८ यात्री सीट पर और २,३३६ यात्री खड़े होकर यात्रा करते हैं। एसी लोकल में वेस्टीब्युल होता है यानी सभी डिब्बे कनेक्टेड हैं इसलिए इसमें ६,५०० यात्री समाहित हो सकते हैं।


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