Latest News

मुंबई: सपनों की नगरी मुंबई से आई है एक ऐसी खबर जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे, जी हां एक मां बाप ने अपने 17 साल के बेटे की ढाई साल से अस्पताल में रखे शव को अभी तक नहीं लिया है, ढाई साल से उस लाश को अंतिम संस्कार का इंतजार है.मुंबई के जायसवाल परिवार का लाडला उनका 17 साल का बेटा सचिन अब इस दुनिया में नहीं है. 21 जुलाई 2018 में उसकी मौत हो चुकी है और जनवरी 2021 में अभी भी मुंबई के जे जे अस्पताल में उसका शव रखा है.
जायसवाल परिवार का आरोप है कि मुंबई पुलिस की बर्बरता से उनके बेटे की जान गई है. जब आरोपियों को इसकी सजा नहीं मिलेगी और उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तब तक वह अपने बेटे का शव नही लेगें और उसका अंतिम संस्कार भी नहीं करेंगे. 13 जुलाई 2018, को धारावी पुलिस मुंबई के जायसवाल परिवार के घर उनके बेटे से एक मोबाइल चोरी के मामले पूछताछ करने पहुंची थी, उनके बेटे को पूछताछ के लिये धारावी पुलिस स्टेशन ले जाया गया. मृतक सचिन के पिता रवींद्र जयसवाल बताते हैं कि 13 जुलाई 2018 को धारावी पुलिस जब उनके बेटे से पूछताछ के लिये पहुंची थी तब उनका बेटा सचिन बांद्रा में अपने एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में गया था.पुलिस ने उनके बेटे को बुलाने के लिये कहा.
बेटा अपने दोस्त की पार्टी छोड़कर घर पहुंचा, पुलिस ने कहा उसी इलाके में एक लड़के को मारपीट कर उसका मोबाइल छीना गया है जिसके बार में उससे पूछताछ करनी है. उनके बेटे ने कहा कि इसके बारे में कुछ भी नहीं जानता फिर भी धारावी पुलिस उसे उठाकर पुलिस स्टेशन ले गयी और पूछताछ के दौरान पुलिस ने उनके बेटे के साथ मारपीट की.
रवींद्र जयसवाल के मुताबिक जिस लड़के के मोबाइल चोरी के मामले में पुलिस उनके बेटे को उठाकर लायी थी उसने भी पुलिस के सामने माना की सचिन उसके मोबाइल छिनैती के दौरान वहां नहीं था उसके बावजूद पुलिस ने उनके बेटे को इस कदर मारा कि उनके बेटे की तबियत खराब हो गयी, खून की उल्टियां होने लगी , हालत ज्यादा खराब हुई तो मुंबई के सायन अस्पताल में भर्ती कराया गया और 21 जुलाई को उनके बेटे की मौत हो गयी.
मृतक सचिन की मां बताती है कि जब उनके बेटे के साथ ये सब हुआ तब वो गांव गयी थी, उन्हें जब पता चला तो वो मुंबई पहुंची और उनके बेटे के साथ पुलिस ने क्या क्या बर्रबरता की सब उसने अपनी मां को बताया था जो बेहद दुखद था. मृतक सचिन के पिता बताते हैं कि उनके बेटे की मौत के बात उन्होंने पुलिस में इसकी एफआईआर दर्ज कराने की बहुत कोशिश की लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया उल्टा उनपर पुलिस केस कर दिया, क्योंकि उनके समर्थन में कुछ लोग पुलिस स्टेशन का घेराव करने पुहंच गये थे.
अस्पताल ने उनके बेटे की मौत की वजह का कारण निमोनिया साबित करने के कोशिश की जबकि उसके शरीर कई चोट के निशान थे. सचिन की हालत जब ज्यादा खराब होने लगी तो पुलिस और अस्पताल स्टाफ ने उनके परिवार वालों से मिलने पर भी रोक लगा दी. मृतक सचिन की बड़ी बहन बताती है कि उनके भाई से मौत की अंतिम दिन तक उनके परिवार को मिलने नहीं दिया गया और उसके शव को पोस्टमार्टम के लिये सीधे जेजे अस्पताल भेज दिया गया. जहां उसका शव आजतक रखा है.
21 जुलाई 2018 को जयसवाल परिवार ने निर्णय लिया कि जब तक उनके बेटे की मौत के गुनहगारों को सजा नहीं मिलेगी और उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तबतक वो अपने बेटे का शव नहीं लेंगे और उसका अंतिम संस्कार नही करेगें. लाख कोशिश करने के बाद भी पुलिस ने इस मामले में कोई मामला दर्ज नहीं किया. पीड़ित परिवार ने शासन से लेकर प्रसाशन, राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक का दरवाजा खटखटाया. मामला ह्युमन राइट कमीशन के पास पहुंचा और ह्युमन राइट ने इस मामले में मुंबई पुलिस को तलब किया और जवाब मांगा.
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 12 नवंबर 2018 को ह्युमन राइट को इस मामले की पुरी तहकीकात की जानकारी दी और बताया कि क्राइम ब्रांच ने इस पूरे मामले की जांच की है उन तीन पुलिस वालों से भी पूछताछ की है जिन्होंने इन मामले पूछताछ की थी. उन 16 डॉक्टरों की टीम से बात की है जो सायन अस्पताल में मृतक सचिन का इलाज कर रहे थे.
क्राइम ब्रांच ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मृतक की मौत निमोनिया की वजह से बतायी जा रही है. फिलहाल इस मामले की अभी जांच क्राइमब्रांच कर रही है. लेकिन इस मामले में अब एक नया मोड़ ये आया है कि ढाई साल से अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने का इंतजार कर रहे इस पीड़ित परिवार से किसी तरह की फीस न लेते हुए उन्हे न्याय दिलाने के लिये एक वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील सिद्धार्त चंद्रशेखर, सिद्धार्थ के मुताबकि इस पीड़ित परिवार के साथ पुलिस के बर्बरता की कहानी जब उन्होंने सुनी तभी उन्हें लगा की इस परिवार को इंसाफ मिलना चाहिए. उन्होंने इस परिवार की मदद करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अदालत ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मुंबई पुलिस से इस मामले पर जवाब मांगा है, लेकिन मुंबई पुलिस की तरफ से अभी तक कोई भी जवाब नहीं दिया गया. कोराना संकट की वजह से कई महीने कोर्ट की कार्रवाई बंद रही अभी भी अदालती कार्रवाई में तेजी नही आयी है. जल्द ही इस मामले पर अदालत मुंबई पुलिस को तलब कर सकती है और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सकता है.
इस मामले पर मुंबई पुलिस से बात करने की कोशिश की, लेकिन कैमरे पर हमें कुछ भी जवाब नहीं मिला. बताया गया कि इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है. ह्युमन राइट कमीशन को इसकी रिपोर्ट भी सौंपी गयी है और ऐसे में जबतक कोई फैसला नहीं होता तब तक मुंबई पुलिस इसपर बात नहीं कर सकती.

Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement