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मुंबई : लॉकडाउन के दौरान फर्जी आई कार्ड से लोकल ट्रेन में सफर करना 19 साल के एक युवक को इतना भारी पड़ा कि उसे पूरे 40 दिन जेल में बिताने पड़े. 20 अगस्त को आरोपी अलीम पटेल को दादर रेलवे पुलिस ने पकड़ा और मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया, जहां कोर्ट ने उसके आइडेंटी कार्ड को फर्जी करार दिया और जेल भेज दिया. आरोपी युवक को राहत तब मिली जब 40 दिन बाद सेशन कोर्ट ने पिछले दिनों मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को पलटा और उसे जमानत दे दी. आरोपी के वकील ने दलील दी कि उसका इरादा सिर्फ लोकल में सफर करना था ताकि परिवार का गुजारा हो सके, उसका इरादा पहचान बदलकर कोई और गुनाह करने का नहीं था. 

कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपी के वकील ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान आरोपी और उसके परिवार की माली हालत काफी खराब हो चुकी थी और उसे कुर्ला से माहिम टैक्सी वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए मजबूरन लोकल ट्रेन में सफर करना पड़ा. जबकि पुलिस ने अपनी ओर से कहा कि आरोपी ने अन्य लोगों से मिलीभगत कर खुद को सरकारी कर्मचारी बताकर उसका पास बनवाया और कई दफा और भी सफर किया था.कोर्ट को यह भी बताया गया कि अगर इतनी सी गलती के लिए इतनी बड़ी सजा दी जाएगी तो, युवक के मन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. एडिशनल सेशन जज बीवी वाघ ने 15000 रुपए के निजी मुचलके पर आरोपी को जमानत दे दी.

कुर्ला निवासी पटेल को 20 अगस्त को दादर रेलवे पुलिस ने फर्जी आइडेंटी कार्ड के साथ लोकल ट्रेन में सफर करने के दौरान पकड़ा था. पुलिस ने उसे चीटिंग, फोर्जरी और गलत पहचान रखने के आरोप में गिरफ्तार किया. ऐसे गुनाह की अधिकतम सजा उम्र कैद तक भी हो सकती है.याद रहे कि लॉकडाउन में मुंबई की लोकल में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों या अति आवश्यक सेवाओं से जुड़े हुए कर्मियों को ही यात्रा की अनुमति है.इसके अतिरिक्त सामान्य यात्रियों को लोकल मेंं यात्रा की अनुमति नहीं है. 


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