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बीजिंग: अमेरिका और चीन के बीच टकराव सोमवार को उस समय और बढ़ गया जब बीजिंग ने वाशिंगटन के इन आरोपों को लेकर पलटवार किया कि वह वैश्विक पर्यावरण क्षति का एक प्रमुख कारण है और वह दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण नहीं करने के अपने वादे पर पलट गया है। चीन ने अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सहयोग का सबसे बड़ा विध्वंसक” करार देते हुए सवाल किया कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते से क्यों पीछे हट रहा है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के विदेश विभाग ने पिछले सप्ताह एक दस्तावेज जारी किया था जिसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से वायु, जल और मृदा के प्रदूषण, अवैध कटाई और वन्यजीवों की तस्करी के मुद्दों पर चीन के रिकॉर्ड का हवाला दिया गया था।

दस्तावेज में कहा गया है, चीनी लोगों ने इन कार्रवाइयों के सबसे खराब पर्यावरणीय प्रभावों का सामना किया है। साथ ही बीजिंग ने वैश्विक संसाधनों का लगातार दोहन करके और पर्यावरण के लिए अपनी इच्छाशक्ति की अवहेलना करके वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य को भी खतरे में डाला है। विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टेगस ने रविवार को एक बयान में साथ ही कहा था कि चीन ने दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीपों का ‘‘लापरवाह और आक्रामक सैन्यीकरण” किया है। उन्होंने कहा कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अपनी बातों या प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं करती है।”

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस पर सोमवार को पलटवार करते हुए सवाल किया कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते से क्यों पीछे हट रहा है। उन्होंने अमेरिका को ‘‘अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सहयोग का सबसे बड़ा विध्वंसक” करार दिया। वांग ने यह भी कहा कि अमेरिकी सैन्य कार्रवाइयों ने उसे ‘‘दक्षिण चीन सागर की शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा” बना दिया है।

यह आरोप- प्रत्यारोप व्यापार, प्रौद्योगिकी, हांगकांग और ताइवान को लेकर विवादों, चीनी राजनयिकों के खिलाफ जासूसी के आरोपों और दक्षिण चीन सागर एवं अन्य स्थानों पर में बीजिंग के क्षेत्रीय दावों के बीच आया है जिससे द्विपक्षीय संबंध सबसे निचले बिंदु तक चले गए हैं। चीन के पर्यावरण रिकॉर्ड को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग का यह हमला, पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन की इस घोषणा के बाद का आया है जिसमें उसने कहा था कि उसका उद्देश्य 2060 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करना है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने चीन को ‘‘ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक”, समुद्री मलबे का सबसे बड़ा स्रोत, अवैध, अनियमित मछली पकड़ने वाला और तस्करी वाले वन्यजीवों और लकड़ी के उत्पादों का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बताया है। विभाग ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में वैश्विक दिशानिर्देशों का स्पष्ट अभाव है। वांग ने प्रदूषण कम करने को लेकर चीन के रिकार्ड का बचाव किया और चीन द्वारा नये ऊर्जा वाहनों और नये वन क्षेत्र के निर्माण का उल्लेख किया। 


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