कोरोना वायरस में भुखमरी की कगार पर आईं सेक्स वर्कर्स तो शुरू किए ये काम
मुंबई : कोरोना वायरस लॉकडाउन में कई लोगों के रोजगार छिन गए। कईयों को पेट भरने के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ी। खासकर प्रवासियों, सेक्स वर्करों, ट्रांसजेंडर वर्ग ऐसा है जो अन्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा प्रभावित हुए। खासकर सेक्स वर्कर्स जो अपने जीवन यापन के लिए दूसरे के संपर्क में आते हैं, उनकी आजीविका के साधन बंद हो गए। कुछ ने अपने आजीविका के साधन बदल लिए। कुछ ने बातचीत में अपनी दास्तां भी बताई।
तीन महीने एक एनजीओ पर निर्भर रहने के बाद मीना ने बच्चों के कपड़े बेचने शुरू कर दिए। जुलाई से वह नालासोपारा में यह काम कर रही हैं। वह कमाठीपुरा में सेक्स वर्कर का काम करती थीं लेकिन अब फैसला लिया है कि वह उस काम में वापस नहीं जाएंगी। उनके साथ ही आठ और सेक्स वर्कर हैं जो उस काम से हटकर दूसरे काम में लग गई हैं।
मीना ने कहा कि कपड़े बेचकर कमाई करना उस काम से बेहतर है। उसने कहा, 'मैं अब जो काम कर रही हूं, उसमें सम्मान है। मैं अब आर्थिक लेन-देन और नई योग्यता के साथ नए व्यापार को समझ रही हूं।' उसने कहा कि हालांकि अभी उसका प्रॉफिट मार्जिन बहुत कम है। वह बीते दिनों से रोज 950 रुपये कमा पा रही थी। अगस्त के बाद से उसने अपना स्टॉक तीन गुना बढ़ाया है। मीना ने बताया कि वह मुंबई में 30 वर्षों से रह रही है और उसके दो बच्चे हैं।
शहर के रेड लाइन इलाकों में काम करने वाली एनजीओ प्रेरणा ने बताया कि मीना की तरह ही कई सेक्स वर्कर नए काम में आ गई हैं। एनजीओ ने उन्हें काम शुरू करने के लिए 10,000 रुपये की मदद की। आर्थिक मदद के पहले सभी को बेसिक स्किल्स सिखाई गईं।
राधा अब चाय बेचती है। उसने कहा कि लॉकडाउन में उसने सब्जी बेचना शुरू किया था लेकिन बीएमसी ने उसका ठेला सीज कर दिया। फिर उसने एनजीओ के मदद से 100 कप और केतली खरीदकर चाय बेचनी शुरू की। वह एक घंटे में चाय से लगभग 100 रुपये कमा लेती है। उसने कहा कि भले ही इस काम में रुपये कम मिलते हैं लेकिन उसे किसी की गालियां नहीं खानी पड़तीं। उसने कहा कि वह बिहार की रहने वाली है और 13 साल की उम्र में मुंबई आ गई थी, वह 17 साल से यहां रह रही है। भारती ने मदद से 50 किलो प्याज और 50 किलो आलू खरीदकर सब्जी बेचना शुरू किया था। वह रोज 100 से 150 रुपये सब्जी बेचकर कमा लेती है। पूजा ड्राय फिश बेचती है और उसे रोज 670 रुपये की कमाई होती है।