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नई दिल्ली : सरकार ने संसद में बताया है कि सीबीआई (Central Bureau of Investigation-CBI) की ओर से जितने बैंक फ्रॉड की जांच (bank fraud investigations) की जा रही है, उन मामलों के 38 आरोपी 2015 के बाद से अबतक देश छोड़कर भाग चुके हैं. सांसद डीन कुरियाकोसे के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि 'सीबीआई ने बताया है कि बैंकों के साथ वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में शामिल 38 लोग 1 जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच में देश छोड़कर भाग चुके हैं.'
मंत्री ने यह भी बताया कि प्रवर्तन निदेशालय 20 लोगों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए इंटरपोल के पास भी जा चुका है. 14 लोगों के खिलाफ अलग-अलग देशों को प्रत्यर्पण का आग्रह भेजा गया है, वहीं Fugitive Economic Offenders Act, 2018 के तहत 11 लोगों के खिलाफ ऐप्लीकेशन डाले गए हैं. हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया कि इनभगोड़ों पर आरोप कितना बड़ा है, यानी उन्होंने कितना बड़ा फ्रॉड किया है.

सरकार ने इसके पहले 4 जनवरी, 2019 को प्रवर्तन निदेशालय के हवाले से संसद में बताया था कि पिछले पांच सालों में 27 बैंक फ्रॉड के आरोपी देश से भाग चुके हैं. तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री ने संसद में बताया था कि 'प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, पिछले पांच सालों और वर्तमान साल में डिफॉल्ट करने वाले बिजनेसमेन/आर्थिक अपराधी जो कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए किसी दूसरे देश चले गए हैं/देश छोड़कर भाग चुके हैं, उनकी संख्या 27 है.' और अब डेढ़ साल में यह आंकड़ा 27 से 38 हो चुका है.

इनमें से दो भगोड़ों- सनी कालरा और विनय मित्तल को वापस लाया जा चुका है. कालरा पर पंजाब नेशनल बैंक के साथ 10 करोड़ का फ्रॉड करने का आरोप है, वहीं मित्तल पर बैंकों के साथ 40 करोड़ का फ्रॉड करने का आरोप है. बाकियों को अभी दूसरे देशों ने निकाला नहीं जा सका है. इस लिस्ट में 9,000 करोड़ के फ्रॉड का आरोपी विजय माल्या, 12,000 करोड़ के फ्रॉड के आरोपी मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और उसका परिवार और 15,000 करोड़ के फ्रॉड के आरोपी संदेसारा ग्रुप के मालिक और उसके करीबी शामिल हैं.

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