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मुंबई : कोरोनाकाल की बदली हुई परिस्थितियों के बीच आने वाले समय में देश के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. भारतीय रेल की कार्यप्रणाली में भी तेजी से परिवर्तन हो रहा है. सुविधाओं के साथ आय बढ़ाने के उद्देश्य से रेलवे में भी रोल ऑन-रोल ऑफ सेवा (रो-रो) सेवा की शुरुआत की गई है. सड़क पर चलने वाले बड़े मालवाही ट्रक, टैंकर जैसे वाहनों को ओपन फ्लैट रेलवे वैगनो पर लाद कर ले जाया जाएगा. पिछले दिनों रेलवे की इस रो-रो सेवा की शुरूआत कर्नाटक से की जा चुकी है. मध्य रेलवे के बाले (सोलापुर) से नेलमंगला (बेंगलुरु) तक परीक्षण के तौर पर रोल ऑन-रोल ऑफ सेवा शुरू की गयी.

सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शिवाजी सुतार ने बताया प्रधानमंत्री भारत को विकास के अगले स्तर तक ले जाने के लिए प्रधानमंत्री के लक्ष्य ‘मल्टीमॉडल संपर्क’ की यह परिकल्पना कही जा सकती है. रेलवे से माल परिवहन को पॉइंट टू पॉइंट ले जाने के लिए यह योजना बनाई गई है. माल से भरे ट्रक को फ्लैट वैगन पर लाद दिया जाता है. यह अनेक समस्याओं से मुक्त पर्यावरण के अनुकूल परिवहन सेवा है. रेल परिवहन सड़क की तुलना में सस्ता और सुरक्षित माध्यम है.

रेलवे में रोल-ऑन-रोल-ऑफ एक मल्टीमॉडल डिलीवरी मॉडल होगा. इससे माल और आवश्यक वस्तुओं की तेज़ आवाजाही के साथ बड़े शहरों के बीच यातायात की भीड़ के कारण ट्रकों के गंतव्य तक पहुंचने में लगने वाले समय की बचत होगी. रेलवे की रोल-ऑन-रोल-ऑफ सेवा का असर हाइवे पर बड़े वाहनों की भीड़ को कम करने में होगा. इससे न सिर्फ ईंधन की बचत होगी, बल्कि पर्यावरण का नुकसान भी कम होगा. बताया गया कि यह सेवा मध्य रेलवे के माध्यम से बेंगलुरू और सोलापुर के बीच शुरू की गई है. दोनो शहरों कृषि और अन्य उत्पादों को इस माध्यम से आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. इन दोनों शहरों के बीच बड़ी संख्या में सड़क यातायात से जाने वाली रोल-ऑन-रोल-ऑफ से जा सकती है. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार रोल-ऑन-रोल-ऑफ सेवा देश के अन्य बड़े शहरों के बीच शुरू की जा सकती है. इससे न सिर्फ रेलवे की आय में इजाफा होगा, बल्कि रोड ट्रैफिक, कार्बन ईंधन, दुर्घटना और अन्य मामलों में भी कमी आएगी.


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