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नई दिल्ली : कोरोना की गाइडलाइंस को लेकर दिल्ली के लोग आजकल दुविधा में हैं। कहीं पर तो लोग खुलेआम बाजारों में, दुकानों में, पार्कों में बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं और उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा, वहीं दूसरी तरफ गाड़ी में बिना मास्क लगाए अकेले जा रहे लोगों को रोक कर पुलिसवाले उनके चालान काट रही है। इसके पीछे गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन जब लोग पुलिसवालों से गाइडलाइंस दिखाने की मांग कर रहे हैं तो पुलिसवाले ऐसा कोई आदेश या गाइडलाइंस नहीं दिखा पा रहे हैं। इस मुद्दे पर अब लोग सोशल मीडिया के जरिए भी जमकर अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं।

अनलॉक-1 की शुरुआत के बाद जब यह देखा गया कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग, मास्किंग और स्पिटिंग जैसे नियमों के पालन में लचर रवैया अपनाने लगे हैं, तो 15 जून से पुलिस ने सख्ती शुरू कर दी। हर जिले में ऐसे लोगों के चालान काटे जाने लगे, जो नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। इस अभियान के तहत रविवार तक पुलिस करीब पौने 2 लाख चालान काट चुकी थी और जुर्माने के रूप में करीब ढाई करोड़ रुपये जमा कर चुकी थी। हालांकि इस दौरान पुलिस ने लोगों को जागरूक करते हुए 2 लाख से ज्यादा फ्री मास्क भी बांटे, लेकिन विवाद तब खड़ा हुआ, जब पुलिस ने कार में बिना मास्क लगाए अकेले जा रहे लोगों के भी चालान काटने शुरू कर दिए। पिछले कुछ दिनों के दौरान जब इस तरह के चालानों की संख्या में इजाफा हुआ, तो लोग नियमों को लेकर सवाल उठाने लगे और सोशल मीडिया में इसे लेकर बहस छिड़ गई कि पुलिस को जहां असल में जाकर एक्शन लेना चाहिए, वहां तो कुछ नहीं किया जा रहा और अकेले जा रहे लोग, जिनसे किसी को संक्रमण फैलने का खतरा संभवत: सबसे कम होगा, उन्हें टारगेट करके पुलिस चालान काट रही है। 

अरुण सहरावत नाम के एक शख्स ने डब्ल्यूएचओ, गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग कर पूछा कि दिल्ली पुलिस कार में बिना मास्क लगाए अकेले जा रहे हजारों लोगों के इस तरह से चालान कैसे काट सकती है? क्या उनमें इतना भी कॉमन सेंस नहीं है? वहीं एक अन्य शख्स ने लिखा है कि उन्होंने भी देखा है कि दिल्ली में पुलिसवाले पहले गाड़ी को हाथ देकर रोकते हैं और फिर उसमें बिना मास्क लगाए जा रहे शख्स की इजाजत के बिना उसका फोटो लेकर चालान काट देते हैं। शायद उन्हें दूसरों की निजता की कोई परवाह नहीं है। हालांकि सोशल मीडिया पर ही कुछ लोग अप्रैल में जारी किए गए एक आदेश का हवाला देते हुए पुलिस की कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं। इसके जवाब में कुछ लोग उन्हें समझा रहे हैं कि अप्रैल का यह आदेश अनलॉक-1 के तहत जारी किया गया था, जिसकी अब कोई वैधता नहीं रह गई है। अब केवल वही नियम वैध माने जाएंगे, जो अनलॉक-3 के तहत लागू किए गए हैं। 

इस बारे में दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों का कहना है कि वैसे तो सुनने में यह तर्क सही लगता है कि जब कोई गाड़ी में अकेले जा रहा है, तो उसे मास्क लगाने की क्या जरूरत है। लेकिन कई ऐसे कारण हो सकते हैं, जिसके चलते ऐसे लोग भी या तो संक्रमण का शिकार हो सकते हैं या किसी दूसरों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। मसलन- अगर किसी ने रास्ते में गाड़ी रोक कर और खिड़की का शीशा उताकर पर किसी से एड्रेस पूछ लिया या चलते-चलते रास्ते में किसी ने थूक दिया या रेड लाइट पर कोई बाइक सवार या साइकल सवार बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया या सिग्नल पर सामान बेचने वाले या भिखारी ही पास आ गए, तो संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है। इसी वजह से गाड़ी में अकेले जा रहे लोगों को भी मास्क पहनने की सलाह दी गई है। वहीं दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता डॉ. ईश सिंघल का कहना है कि दिल्ली पुलिस का काम नियमों के पालन को सुनिश्चित करना है। अनलॉक-3 की गाइडलाइंस में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति परिवहन के किसी भी साधन से बाहर कहीं जा रहा है, तो उसे मास्क पहनना होगा। उसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस कानून के तहत कार्रवाई कर रही है।


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