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मुंबई : सोशल नेटवर्किंग साइट्स जहां कम्युनिकेशन के लिए बेहतरीन माध्यम हैं, वहीं आश्चर्यजनक रूप से ये अवसाद में पड़े यूजर्स की जान भी बचा रहे हैं। इधर मानसिक रूप से परेशान 25 वर्षीय एक युवक का जीवन बचाने में इस माध्यम ने अहम भूमिका निभाई है। मामला जोन 12 पुलिस के तहत वनराई पुलिस का है। यहां खुदकुशी करने जा रहे नीलेश बेडेकर को समय रहते बचा लिया गया। रविवार को मुंबई पुलिस की सोशल मीडिया विंग में कार्यरत एक पुलिस कॉन्सटेबल समीर साल्वे को ट्विटर पर एक पोस्ट दिखाई दी। उस पोस्ट को पढ़ते ही समीर चौंक उठे। उस पोस्ट में लिखा था कि 'अगर मैं सूइसाइड करता हूं, तो इस अपराध की क्या सजा होगी।' इस पोस्ट को नीलेश बेडेकर नाम के एक शख्‍स ने अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया था। ट्वीट पढ़ते ही समीर ने इसकी खबर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी।

मामले की गंभीरता देख पुलिस ने तत्काल नीलेश बेडेकर का ट्विटर अकाउंट चेक किया और उसके जरिए नीलेश का मोबाइल नंबर खोज निकाला। उक्त मोबाइल नंबर से पुलिस ने नीलेश का लोकेशन ट्रेस किया, जिससे उसके गोरेगांव (पू.) में होने की जानकारी मिली। पुलिस की एक टीम के लोग नीलेश बेडेकर को कॉल कर उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करते रहे, जबकि दूसरी टीम उस जगह रवाना हो गई। जोन 12 पुलिस के अनुसार, वनराई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी महेश निवतकर इस टीम का नेतृत्व कर रहे थे। वह अपने टीम के साथ नीलेश के घर पहुंच गए। उससे बड़ी सहजता से बातचीत की और फिर उसे अपने साथ पुलिस स्टेशन लेकर आ गए। नीलेश को मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल भेजा गया, जहां उसकी स्पेशल काउंसलिंग की गई। काउंसिलिंग का यह असर हुआ कि नीलेश ने आत्महत्या करने का विचार छोड़ खुशहाल जिंदगी जीने का फैसला कर लिया।


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