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नवी मुंबई : पहले देर तक हुई मॉनसूनी बारिश और अब सर्दी आने में हो रही देर का विपरीत असर कोकण के किंग हापुस आमों की फसल पर पड़ रहा है। विपरीत मौसम के चलते इस साल वाशी बाजार में हापुस आमों के शाही आगमन में देर हो गई है। पिछली बार वाशी की थोक फल मंडी में हापुस की पहली खेप नवंबर 2018 के पहले सप्ताह में ही आ गई थी। बता दें कि पिछली बार पहली खेप में हापुस आम की 4 दर्जन की पेटी 11,000 रुपये में हाथों-हाथ बिकी थीं। वहीं, इस साल दिसंबर के 2 सप्ताह बीत चुके हैं और अब तक हापुस का विधिवत आगमन नहीं हो सका है। वाशी की थोक फल मंडी सहित समूचा मुंबई महानगर अल्फांसो हापुस का बेसब्री से इंतजार करता रहता है। असली हापुस आमों के लिए प्रसिद्ध कोकण क्षेत्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग और रायगड जिलों के बगीचों में हापुस के पेड़ों पर इस साल बहुत देर से फूल (बौर) लगे हैं। देवगड हापुस क्षेत्र के बगीचा मालिक विजय पवार ने बताया कि इस साल देर तक रुका मॉनसून हापुस की फसल के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हुआ है। मॉनसून के जाने के बाद अब तक ठंड ढंग से शुरू नहीं हो सकी है। इसके चलते पेड़ों पर एक तो फूल देर से आए और अब फल भी विलंब से लगने शुरू हुए हैं। हापुस को तैयार होने में समय लगेगा।

सावंतवाडी के एक अन्य हापुस उत्पादक किसान अभय परब ने बताया कि अनियमित मॉनसून और सर्दियों के विपरीत प्रभाव से इस साल हापुस का उत्पादन करीब 20 से 25 फीसद तक प्रभावित हो सकता है। सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और रायगड जिलों को मिलकर करीब डेढ़ से ढाई लाख हेक्टेयर में हापुस के बगीचे हैं। यदि जनवरी में कोकण क्षेत्र का मौसम हापुस के अनुकूल रहा, तो भी उत्पादन में करीब 20 फीसद तक की कमी आ सकती है। फल व्यापारी चंद्रकांत पाटील ने बताया कि यदि सब कुछ ठीक रहा, तो हापुस की पहली खेप जनवरी के पहले अथवा दूसरे सप्ताह तक आ जाएगी। हापुस के नाम पर और इसके जैसे दिखने वाले कर्नाटक या दक्षिण भारतीय हापुस की आवक कभी भी हो सकती है। दक्षिण भारतीय नकली हापुस के अलावा, अब तो विदेशों (अफ्रीकी देशों) से भी नकली हापुस की आवक पिछले एक-दो वर्षों से शुरू हो गई है।


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