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मुंबई : राजनीति में कुछ भी मुमकिन है। महाराष्‍ट्र में शनिवार सुबह यह कहावत एक बार फिर सच साबित हुई। बीजेपी ने महाराष्ट्र में सबको हैरान करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार को साथ लेकर सरकार बना ली। बीजेपी के इस 'अजित दांव' की कुर्सी के लिए एक महीने तक लगातार दौड़-धूप कर रही शिवसेना को भनक तक नहीं लगी। शनिवार सुबह राज्यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्‍यमंत्री और अजित पवार उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इससे पहले शरद पवार ने कहा था कि महाराष्‍ट्र में शिवसेना के नेतृत्‍व में सरकार बनेगी, लेकिन रातोंरात बाजी पलट गई। सुबह करीब 8 बजे राज्‍यपाल कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को शपथ द‍िलाई। इसके बाद अजित पवार ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फडणवीस को दोबारा सीएम बनने के लिए बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे विश्‍वास है कि दोनों नेता महाराष्‍ट्र के बेहतर भविष्‍य के लिए मिलकर काम करेंगे। शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने चुनाव जीता था और शिवसेना पीछे हट गई। महाराष्‍ट्र को स्थिर शासन की जरूरत थी। इसलिए हम साथ आए हैं। हम राज्‍य को एक स्थिर सरकार देंगे। फडणवीस ने कहा क‍ि महाराष्‍ट्र को स्थिर सरकार देंगे।

फडणवीस ने कहा कि राज्‍य को खिचड़ी सरकार की जरूरत नहीं थी। शिवसेना ने जनादेश का अपमान किया। इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा। उधर, अजित पवार ने शपथ लेने के बाद कहा कि महाराष्‍ट्र में किसानों की समस्‍या हमारी प्राथमिकता है। अजित पवार ने कहा कि चुनाव परिणाम के दिन से ही कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। महाराष्‍ट्र कई समस्‍याओं का सामना कर रहा है, जिसमें किसानों का मुद्दा शामिल है। इसलिए हमने एक स्थिर सरकार बनाने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बीजेपी-एनसीपी की सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है। इससे पहले 2014 में भी बीजेपी ने एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई थी, हालांकि तब एनसीपी सरकार में शामिल नहीं हुई थी। बाद में शिवसेना भी बीजेपी के साथ आ गई थी और अपना समर्थन देते हुए सरकार में शामिल हुई थी।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित हुए थे। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था लेकिन शिवसेना के सीएम पद पर अड़े रहने की वजह से सरकार गठन पर तकरार बनी रही। बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर विजय मिली थी। बीजेपी के सरकार बनाने से कदम खींचने के बाद राज्यपाल ने शिवसेना और एनसीपी को मौका दिया। इसके बाद राज्य में 9 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लग गया था। पिछले एक हफ्ते से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन पर चर्चा हो रही थी लेकिन शनिवार सुबह महाराष्ट्र की राजनीति ने नई करवट ले ली।


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