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मुंबई :  मुंबई शहर को उम्मीदों का शहर कहा जाता है। हर दिन हजारों लोग लाखों सपने लेकर मुंबई आते हैं। मुंबई आनेवालों में विभिन्न राज्यों से आने वाले हिंदुस्थानियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल होते हैं। लोगों की इस बढ़ती भीड़ के कारण अब मुंबई की व्यवस्था चरमराने लगी है और यह शहर हादसों का शहर बनता जा रहा है। महज पिछले ७ महीनों में मुंबई में हुए अलग-अलग ९,९४३ हादसों में १३७ लोग अकाल काल का ग्रास बन गए जबकि ५७९ लोग घायल भी हुए। मुंबई में सबसे ज्यादा घटनाएं आग लगने व शार्टसर्किट की घटीं जबकि सर्वाधिक जानें मकान गिरने तथा कुएं, तालाब, नाले और मेनहोल में गिरने / डूबने से हुई।
बता दें कि मुंबई को सबसे सुरक्षित शहर माना जाता है लेकिन मनपा के आपातकालीन कक्ष के अनुसार मुंबई में पिछले ७ महीनों में ९,९४३ हादसे दर्ज हुए हैं। इनमें ९२ पुरुष तथा ४५ महिलाओं की मौत हुई है। जबकि ३७२ पुरुष एवं २०७ महिलाएं घायल हुई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख को मनपा के आपातकालीन कक्ष द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुंबई में पिछले ७ महीनों में आग लगने और शॉर्टसर्किट होने की ३०३२ घटनाएं घटीं। इनमें ९ पुरुष व ८ महिलाओं सहित १७ लोगों की जान चली गई, जबकि ८५ पुरुष और ४२ महिलाएं घायल हुर्इं।  मकान गिरने की ६२२ घटनाओं में २६ पुरुष और २५ महिलाओं सहित ५१ लोगों की मौत हो गई। वहीं १२४ पुरुष व १०३ महिलाएं घायल हुईं। इसी तरह समुद्र, नाले, कुएं आदि में गिरने / डूबने की १०३ घटनाओं में ३३ पुरुष और ६ महिलाओं सहित ३९ लोगों की मौत हो गई, साथ ही २७ लोग घायल हुए। इसी तरह पेड़, पेड़ की डाली गिरने से ५, करंट लगने से ५ सड़क धंसने से ११ पुल गिरने से ६ गैस लिकेज से लोगों की मौत हुई है।


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