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मुंबई : वसई और विरार के बीच सीजन में दूसरी बार ट्रेनें ठप पड़ जाने से रेलवे की परेशानियां बढ़ चुकी हैं। नालासोपारा में पटरियों पर 120 मिमी तक पानी होने के कारण बुधवार को सेवाएं ठप पड़ गई थीं। गुरुवार को भी इसके कारण कुछ मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। इस दौरान रेलवे के कई कर्मचारी घंटों तक मुंबई को 'बचाने' में लगे रहे।

पश्चिम रेलवे में भाईंदर के सीनियर सेक्शन इंजिनियर हरीश कुमार राठौड़, उनकी टीम के 8 कर्मचारी और 55 ट्रैक मरम्मत करने वाले 16 घंटों तक पानी में खड़े रहे। राठौड़ की टीम का काम था पटरियों पर पानी के स्तर का अपडेट कंट्रोल रूम तक देना। इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर उनके कर्मचारी पानी में खड़े रहे और जलस्तर की स्थिति कंट्रोल रूम तक पहुंचाते रहे, ताकि ट्रेन चलाने का निर्णय लिया जा सके। 

वसई-विरार सेक्शन में जलस्तर का पता लगाने वाले कर्मचारियों को रेलवे कंट्रोल रूम तक अपडेट देने के अलावा एक ओर ड्यूटी करनी पड़ रही थी। इस बार वसई-विरार मनपा से भी तालमेल बिठाकर काम किया जा रहा था। ट्रैक पर जलस्तर बढ़ने के स्थिति में कर्मचारियों को पंप द्वारा पानी निकालने की ड्यूटी दी गई थी, लेकिन वसई-विरार मनपा क्षेत्र में ही स्थिति खराब होने के चलते ऐसा संभव नहीं हो रहा था। ऐसे में कर्मचारियों को मनपा से अपडेट लेकर निर्णय लेना था।

जहां पश्चिम रेलवे में कर्मचारी जलस्तर का पता लगाकर लोकल ट्रेनों को चलाने की जुगत में थे, तो मध्य रेलवे पर कुर्ला, दादर और सायन में आरपीएफ के जवानों ने पानी में उतरकर लोगों को बचाने का प्रयास किया। पानी का स्तर बढ़ने के बाद कुर्ला से सीएसएमटी तक ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया। ऐसे में आरपीएफ जवानों को निर्देश दिया गया कि ट्रेनों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाए। मध्य रेलवे पर कुर्ला और दादर आरपीएफ के जवानों ने ट्रेनों में फंसे करीब 200-300 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।


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