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मुंबई : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ अब एनडीए के असंतुष्ट सहयोगियों में जेडीयू के बाद दूसरा नाम जुड़ा है शिवसेना का। कम अहमियत वाले भारी उद्योग मंत्रालय मिलने पर शिवसेना नाराज बताई जा रही है। पार्टी ने इशारों में इसे जाहिर भी किया है। बता दें कि मुंबई दक्षिण से सांसद अरविंद सावंत ने 30 मई को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ ली थी। विभागों के बंटवारे के बाद उन्हें भारी उद्योग मंत्री बनाया गया है। पार्टी के एक रणनीतिकार ने कहा कि बीजेपी ने अपने सबसे पुराने सहयोगी को कम से कम तीन मंत्री बनाने का ऑफर नहीं दिया। इसके साथ ही एक मंत्री बनाया भी तो संचार, स्वास्थ्य या रेलवे जैसा अहम मंत्रालय नहीं दिया। बता दें कि इससे पहले बिहार में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने एक मंत्री का ऑफर मिलने पर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। शिवसेना को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की तरह एक बार फिर भारी उद्योग मंत्रालय मिला है। पिछले 21 साल में पांच बार शिवसेना को यही मंत्रालय मिला है। सबसे पहले बालासाहेब विखे पाटिल (1998), फिर मनोहर जोशी (1999), सुबोध मोहिते (2004) और अनंत गीते (2014-2019) ने भारी उद्योग मंत्रालय संभाला। गीते इस बार के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के सुनील तटकरे से रायगड़ सीट पर हार गए। इसके बाद सावंत को इस पद के लिए चुना गया। दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, 'विभागों को लेकर हमने कोई मांग नहीं रखी थी क्योंकि विभागों का बंटवारा प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। हालांकि उद्धवजी दिल्ली में थे और वह इस बारे में जानते हैं। बीजेपी नेतृत्व को एक संदेश भेजा गया है।' सूत्रों के मुताबिक इस संदेश में शिवसेना ने अपनी नाराजगी का इजहार किया है। 


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