जल्द मिलेगी इन बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन
मुंबई : आचार संहिता समाप्त हो चुकी है। सरकार वही है, जो पहले थी। इसीलिए अब उन सभी परियोजनाओं में ऊर्जा फूंकी जा रही है, जिनकी योजना गत पांच वर्षों में बनी थी। मुंबई उपनगरीय रेलवे के लिए पश्चिम रेलवे पर विरार से डहाणू के बीच दो और पटरियां बिछाना और पनवेल-डहाणू के बीच नया कॉरिडोर बनाना जरूरी है। एमयूटीपी 3 का हिस्सा रहीं ये परियोजनाएं प्लानिंग स्टेज पर तैयार हैं। इन्हें साकार करने के लिए जमीन की जरूरत होगी, जो राज्य सरकार की ओर से मुहैया कराई जाएगी। जल्दी मिलेगी जमीन
सोमवार को एमयूटीपी-3 की प्रगति पर राज्य सरकार और मुंबई रेल विकास निगम (एमआरवीसी) की एक बैठक हुई। इस बैठक में एमयूटीपी के विभिन्न प्रॉजेक्ट्स पर बात हुई लेकिन खासतौर पर पनवेल-कर्जत और विरार-डहाणू प्रॉजेक्ट पर बात हुई। इन दोनों प्रॉजेक्ट्स के लिए रेलवे की जमीन तैयार है, लेकिन कुछ हिस्से का अधिग्रहण करना है। विरार-डहाणू रूट पर दो और लाइन बिछाने के लिए 48 हैक्टेयर्स और पनवेल-कर्जत कॉरिडोर के लिए 72 हैक्टेयर्स भूमि अधिग्रहण करना है।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रॉजेक्ट की प्रगति के दौरान एमआरवीसी से जल्द ही जमीन दिलाने का निवेदन किया गया था। इस पर राज्य सरकार ने 15 जून तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करने का आश्वासन दिया है।
मुंबई रेल विकास निगम द्वारा मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रॉजेक्ट (एमयूटीपी) तैयार किया गया है। एमयूटीपी में पनवेल से कर्जत के बीच कॉरिडोर बनाने की योजना बनी थी। फिलहाल यहां माल-गाड़ियों की आवाजाही के लिए ट्रैक बिछा हुआ है। 2782 करोड़ रुपये की लागत वाले कॉरिडोर के बनने के बाद कर्जत से सीएसएमटी आने वालों को वाया पनवेल से 23 किमी छोटा मार्ग मिलेगा, जिससे 35-40 मिनट की बचत होगी। अभी यात्रियों को कल्याण से वाशी या पनवेल जाने के लिए ठाणे तक आना पड़ता है। ठाणे से ट्रांसहार्बर लिंक से पनवेल का मार्ग बना हुआ है, लेकिन इसके कारण ठाणे स्टेशन पर भीड़ बढ़ जाती है।
एमयूटीपी-3 के अंतर्गत ही पिछले बजट में 3,555 करोड़ रुपये और 63 कि.मी. लंबे विरार-डहाणू कॉरिडोर चौड़ीकरण की घोषणा की गई थी। फिलहाल, इन दोनों स्टेशनों के बीच दो ट्रैक बने हुए हैं। मुंबई-अहमदाबाद रेलवे रूट के इन दो महत्वपूर्ण स्टेशनों के बीच कुछ साल पहले ही उपनगरीय सेवाएं शुरू की गई थीं। अब उपनगरीय सेवाओं का विस्तार करना है, इसलिए दो ट्रैक और बिछाने पड़ेंगे। इससे उपनगरीय सेवाओं के अलावा लंबी दूरी की ट्रेनों की आवाजाही भी आसान होगी।