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मुंबई : सूरत कोचिंग क्लास में हुए हादसे ने पूरे देश को हिला दिया। इससे पहले भी गली-कूचों में चलने वाले कोचिंग सेंटरों के समीक्षा की जरूरत थी, लेकिन अब सुरक्षा के लिहाज से इनका विश्लेषण करना जरूरी हो गया। दूसरी और मुंबई फायरब्रिगेड भी पिछले कुछ सालों में हुई आग की घटनाओं के बाद अपने ही सिस्टम को सुधारने में लगी है। सूरत की आग में पता चला कि वहां फायरब्रिगेड के पास लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त इंतजाम ही नहीं थे।
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सूरत शहर मे हुए कोचिंग सेंटर मे आग वाले हादसे की वजह से कई क्षात्र मारे गये जिसके बाद अब सरकार को कुछ होश आया है अब कोचिंग सेंटर चलाने के लिए कुछ नियम ओर कानून बनाये गये जिससे की क...+
मुंबई में चलने वाली कोचिंग क्लासेज का क्या हाल है। फायर ब्रिगेड कितनी तैयार है, पढ़िए विशेष रिपोर्ट:

ज्ञान की ‘दुकान’
हम क्लासेज को ज्ञान की दुकान इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि मुंबई में चलने वाली सभी क्लासेज महानगरपालिका के शॉप ऐंड एस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट के तहत काम करती हैं। यह ऐक्ट आमतौर पर दुकान स्थापित करने के लिए होता है, लेकिन कोचिंग क्लासेज के लिए भी इस्तेमाल हो रहा है। वैस, ‘ईमानदारी’ से चलने वाले कोचिंग सेंटरों के लिए मनपा का ये ऐक्ट तो है, धड़ल्ले से चलने वाली कोचिंग क्लासेज के लिए कोई डंडा नहीं है।

ड्राफ्ट बना, लेकिन कानून नहीं
निजी कोचिंग सेंटरों के बढ़ते हुए जाल को देखकर राज्य की एनडीए सरकार में ही एक ड्राफ्ट तैयार किया गया था। इसमें कोचिंग क्लास को परिभाषित किया जाना था। विद्यार्थियों से कोचिंग फीस वसूलते वक्त जीएसटी लगाया जाता है, लेकिन इन कोचिंग सेंटरों के मालिक पर अभी भी कोई विशेष कानून काम नहीं करता है। तय तो होना था कि पांच विद्यार्थियों से ज्यादा वाले ट्यूशन सेंटर को कोचिंग क्लास की श्रेणी में लाया जाए, लेकिन विरोध के बाद सारी बातें शांत हो गईं।


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