Latest News

गंभीर आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से छह अरब डॉलर का बेल आउट पैकेज हासिल करने में सफल रहा. यह क़र्ज़ पाकिस्तान को तीन सालों के दौरान मिलेगा. इससे लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के आधारभूत ढांचे और क़र्ज़ की देनदारी में सुधार की उम्मीद बढ़ी है. हालांकि, आईएमएफ़ ने कहा कि इस समझौते पर अभी बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मुहर लगनी बाकी है. लेकिन इमरान ख़ान के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं. इस समझौते को लागू करना और अर्थव्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है. पाकिस्तान और आईएमएफ़ के बीच बेलआउट पर अक्टूबर 2018 से ही बात चल रही थी. नौ महीने पहले इमरान ख़ान ने देश के बुरे आर्थिक हालात में सत्ता संभाली, लेकिन प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने आईएमएफ़ से क़र्ज़ लेने का विरोध किया था.

उन्होंने कहा था, "ख़ुदकुशी कर लेंगे लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भीख नहीं मांगेंगे." पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़ रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार तेज़ी से ख़त्म हो रहा था. ऐसे हालात में अगस्त 2018 में जब वो सत्ता में आए तो कम अवधि के क़र्ज़ के लिए चीन, सऊदी अरब और यूएई से काफ़ी कोशिशें कीं. आख़िरकार सरकार को आईएमएफ़ का रुख़ करना पड़ा. बीते फ़रवरी में इमरान ख़ान आईएमएफ़ प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड से मिले थे. सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ (पीटीआई) ने कहा है कि तीन दशकों में 13वें बेलआउट के लिए वो सहमत है. आईएमएफ़ की वेबसाइट के अनुसार, पाकिस्तान पर पहले के बेलआउट से ही 5.8 अरब डॉलर का क़र्ज़ है. बेलआउट पैकेज के साथ कड़ी शर्तों पर स्थानीय मीडिया में अभी से आलोचना शुरू हो गई है.

"आईएमएफ़ ने लाखों लोगों पर जो कमरतोड़ आर्थिक बोझ डाला है उसके परिणाम जल्द सामने आएंगे." "आईएमएफ़ की शर्तें लागू करना, आम लोगों पर अभूतपूर्व आर्थिक बोझ के रूप में सामने आएगा." विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च महंगाई दर और बढ़ती बेरोज़गारी के बीच इस बेलआउट पैकेज से ईंधन पर टैक्स बढ़ेगा, बिजली महंगी होगी और पाकिस्तानी रुपये में और गिरावट आएगी. जाने-माने टिप्पणीकार नज़म सेठी ने उदारवादी उर्दू टीवी चैनल 24 में कहा कि 'अतिरिक्त टैक्स के कारण हर चीज़ और महंगी हो जाएगी और डॉलर का मूल्य अनियंत्रित हो जाएगा और इससे आयात होने वाली चीज़ों के दाम बढ़ेंगे.' उन्होंने कहा कि इससे पहले की किसी भी सरकार ने इस पर सहमति नहीं दी. पूर्व वित्त मंत्री हाफ़िज़ पाशा ने जियो न्यूज़ से कहा कि इससे बेहतर समझौता हो सकता था. उन्होंने कड़ी शर्तों के लिए समझौते में देरी को दोषी ठहराया. विपक्षी दलों ने बेल आउट को 'कम्प्लीट सेल-आउट' क़रार दिया है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ (पीएमएलएन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने पाकिस्तान को महज़ 9 महीने में ही आर्थिक विनाश की कगार पर ला खड़ा किया है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सदस्य शेरी रहमान ने ट्वीट किया है, "तब्दीली सरकार से ग़ुलामी सरकार की यात्रा अब पूरी हो गई. हम ख़ुदकुशी कर लेंगे लेकिन आईएमएफ़ के पास नहीं जाएंगे..ये शब्द अब भी कानों में गूंज रहे हैं." हालांकि उदारवादी अंग्रेज़ी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि आईएमएफ़ की शर्तों को लागू करने से भविष्य के निवेश और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है.


Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement