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अमरीका और चीन के बीच हाल के दिनों में ट्रेड वॉर में और तल्खी आई है. दोनों देशों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ नया आयात शुल्क लगाया है. अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि चीन को आयात शुल्क अदा करना होगा. दूसरी तरफ़ ट्रंप के आर्थिक सलाहकार लैरी कुड्लोव ने रविवार को स्वीकार किया था कि अमरीकी फ़र्म चीनी सामान पर टैक्स दे रही हैं.

ऐसे में ट्रंप का यह कहना कितना सही है कि ट्रेड वॉर अमरीका के लिए अच्छा है, क्योंकि इससे अमरीकी राजस्व में लाखों डॉलर आ रहे हैं. इस जंग में किसे सबसे ज़्यादा नुक़सान हो रहा है? वकील क्रिस्टॉफ बॉन्डी के मुताबिक ये शुल्क अमरीकी आयातक अदा करते हैं, ना कि चीनी कंपनियां. आयातक अमरीकी सरकार को टैक्स के रूप में आयात शुल्क देते हैं.

कनाडा-यूरोपीय संघ के व्यापार समझौते की बातचीत के दौरान कनाडाई सरकार के वरिष्ठ वकील रहे बॉन्डी ने कहा कि ये अतिरिक्त शुल्क आखिर में अमरीकी ग्राहकों को बढ़ी कीमतों के रूप में चुकाना पड़ सकता है. उन्होंने कहा,  सप्लाई चेन पर इन आयात शुल्कों का बहुत बुरा असर पड़ेगा. चीन अमरीका का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, पिछले साल चीन ने अमरीका में 7% ज़्यादा आयात किया. हालांकि साल 2019 की पहली तिमाही में ये आयात 9% घटा, जिसके पीछे दोनों देशों के व्यापार युद्ध को वजह माना जा रहा है.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के व्यापार विशेषज्ञ मरेडिथ क्रोली के मुताबिक, इसके बावजूद, इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते कि चीनी कंपनियों ने अपने दामों में कटौती की हो ताकि अमरीकी कंपनियां उनका सामान खरीदना जारी रखें."

वो कहते हैं, "जिन सामानों को कहीं और से आसानी से लिया जा सकता है, उन्हें अमरीकी कंपनियों ने चीनी आयातकों से लेना बंद कर दिया. ये आयातक मार्केट से गायब हो गए हैं. इन लोगों के मार्जिन बहुत कम होते हैं और आयात शुल्क इन्हें साफ तौर पर नुकसान पहुंचाते हैं. जो चीज़े कहीं और से नहीं मिल सकतीं, मुझे नहीं लगता उनके दाम में कोई कटौती की गई होगी, क्योंकि अमरीकी आयातक उन पर बहुत हद तक निर्भर हैं.


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