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पाकिस्तानी सेना ने अंतरराष्ट्रीय मीडियाकर्मियों के एक समूह और विदेशी राजनयिकों को बालाकोट के उस मदरसे और उसके आसपास के इलाके का दौरा कराया जहां भारत ने 43 दिन पहले जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया था।

बीबीसी उर्दू के मुताबिक समूह को एक हेलीकॉप्टर में इस्लामाबाद से बालाकोट के जाबा ले जाया गया। हरे-भरे पेड़ों से घिरे एक पहाड़ के शीर्ष पर स्थित इस मदरसे तक पहुंचने के लिए आगंतुकों को डेढ़ घंटे तक चलना पड़ा। पाकिस्तान की सेना के मुताबिक समूह ने चढ़ाई करते वक्त पहाड़ के ढलान पर एक गड्ढा भी देखा जहां भारतीय विमानों ने विस्फोटक गिराए थे।

बीबीसी ने बताया कि जब समूह मदरसे के भीतर पहुंचा तो वहां 12-13 साल के करीब 150 बच्चे मौजूद थे और उन्हें कुरान पढ़ाई जा रही थी। समूह का यह दौरा करीब 20 मिनट तक चला और उन्हें तस्वीरें लेने की इजाजत दी गई तथा उनमें से कुछ ने शिक्षकों से बात भी की। सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने संवाददाताओं से औपचारिक एवं अनौपचारिक बातचीत भी की।

यह संकेत देते हुए कि भारत के हमले वाला दावा सही नहीं है, उन्होंने कहा, यह पुराना मदरसा है और हमेशा से ऐसा ही था। यह उस स्थान पर विदेशी मीडिया एवं राजनयिकों का पहला औपचारिक दौरा था जहां भारत ने हमला कर सैकड़ों आतंकवादियों को मारने का दावा किया था।


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