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मुंबई : महाराष्ट्र में मुंबई की एक अदालत ने शनिवार को उपनगरीय गोरेगांव पुलिस थाने में दर्ज रंगदारी के मामले में बर्खास्त किए गए सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे की पुलिस हिरासत 15 नवंबर तक बढ़ा दी है। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने बिल्डर सह होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल की शिकायत के आधार पर इस मामले में एक नवंबर को सचिन वाझे को हिरासत में लिया था। इसमें मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भी आरोपित हैं। सचिन वाझे को उसकी पिछली रिमांड की समाप्ति पर शनिवार को मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया था। पुलिस ने आगे की जांच के लिए उसकी हिरासत बढ़ाने की मांग की, जिसे अदालत ने 15 नवंबर तक की अनुमति दी।
बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाझे मार्च में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा एंटीलिया बम मामले और मनसुख हिरन हत्या मामले में गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में था। शिकायतकर्ता बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपित सचिन वाझे ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे नौ लाख रुपये की जबरन वसूली की और उन्हें लगभग 2.92 लाख रुपये के दो स्मार्टफोन खरीदने के लिए मजबूर किया। पुलिस ने के मुताबिक, यह घटना जनवरी, 2020 और मार्च, 2021 के बीच हुई थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में छह आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मामले की जांच जारी है।
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मंगलवार को स्थानीय अदालत से कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय पुलिस जांच को 'नुकसान पहुंचा' रहा है और सचिन वाझे केंद्रीय एजेंसी के हाथों की बस एक कठपुतली है। गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े पीएमएलए मामले में बयान दर्ज करने के लिए बर्खास्त किए गए पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की हिरासत मांगी है। ईडी और अपराध शाखा की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने ईडी की अर्जी खारिज कर दी। मुंबई के उपनगरीय इलाके गोरेगांव में दर्ज जबरन वसूली के मामले के संबंध में वाजे को 13 नवंबर तक अपराध शाखा की हिरासत में भेजा गया था।

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