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मुंबई, स्वाइन फ्लू एक बार फिर सनका है। पिछले साल की तुलना में इस साल अक्टूबर तक स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में ३८.६३ फीसदी का इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक २०२० में एच१एन१ के सिर्फ ४४ मरीज थे, जो इस साल अक्टूबर तक बढ़कर ६१ हो गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि शहर में एच१एन१ और एच३एन२ मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने डॉक्टरों को सलाह दी है कि रोगी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर उसे नजरअंदाज न करते हुए गंभीरता से लें।
मनपा अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने कई मरीजों में स्वाइन फ्लू के लक्षण देखे। इनमें से अधिकांश में इन्फ्लूएंजा-ए का परीक्षण में रिपोर्ट पॉजिटिव आया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल स्वाइन फ्लू या इन्फ्लूएंजा के मरीज शायद ही मिले थे। केईएम अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि सात से आठ मरीजों में बुखार, खांसी और गले में खराश के लक्षण दिखे। ये लक्षण आमतौर पर स्वाइन फ्लू और कोविड-१९ मरीजों में समान पाए जाते हैं। इन लक्षणों वाले १० लोगों का परीक्षण किया गया, उनमें से अधिकांश में इन्फ्लूएंजा और स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव रिपोर्ट सामने आए हैं।
नायर अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. माला कनेरिया के मुताबिक एच१एन१ इन्फ्लूएंजा रोगियों की संख्या बढ़ रही है। एच१एन१ और कोविड-१९ के लक्षण बहुत समान हैं। लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी शामिल हैं। ऐसे में यदि कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है तो मरीज को तुरंत एच१एन१ का परीक्षण कराना चाहिए। कभी ऐसा भी होता है कि दोनों बीमारियां एक साथ हो सकती हैं। इस स्थिति में कोविड का उपचार करते हुए स्वाइन फ्लू पर भी विचार होना चाहिए क्योंकि दोनों बीमारियों के इलाज अलग-अलग हैं।
 

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