मुख्यमंत्री ने की केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री से चर्चा
मुंबई, महाराष्ट्र में विभिन्न हवाई अड्डों के विकास और उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर कल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच वीडियो कॉन्प्रâेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सिंधिया को महाराष्ट्र आने का न्योता देते हुए कहा कि चिपी हवाई अड्डे के खुलने से न केवल सिंधुदुर्ग जिले को बल्कि कोकण को भी बहुत लाभ होगा। विशेष रूप से नांदेड़, कोल्हापुर और संभाजीनगर के हवाई अड्डों पर और अधिक क्षमता से हवाई सेवाएं शुरू करने से पर्यटकों और नियमित यात्रियों की संख्या बढ़ने से इन क्षेत्रों को इसका फायदा होगा, इस दृष्टि से मुख्यमंत्री ने चर्चा की और कुछ तकनीकी अड़चनें हैं, उसे दूर करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सिंधुदुर्ग में चिपी हवाई अड्डा खुलने से निश्चित रूप से जिले और राज्य को लाभ होगा। इस बैठक में नागपुर, जलगांव, अकोला, सोलापुर, गोंदिया, जुहू और अमरावती में हवाई परिवहन और संचार की अड़चनों को दूर करने के लिए राज्य सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ समन्वय बढ़ाने के साथ समयबद्ध रीति से काम करने पर चर्चा हुई। इस बैठक में मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त मनोज सौनिक, एमएडीसी के व्यवस्थापकीय संचालक दीपक कपूर, प्रधान सचिव वल्सा नायर सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव आशीष कुमार सिंह, प्रधान सचिव विकास खारगे आदि उपस्थित थे।
राज्य के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में परियोजनाओं व योजनाओं को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। इसके लिए नाबार्ड से अधिक से अधिक वित्तीय सहायता मिलना आवश्यक है। इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के विभिन्न विभागों को उनसे संबंधित क्षेत्रों की प्राथमिकता तय करने का निर्देश दिया। नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जी. आर. चिंताला के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों के शिष्टमंडल ने कल मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इस मुलाकात में हुई चर्चा के संबंध में मुख्यमंत्री बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राज्य में महत्वपूर्ण योजनाओं और परियोजनाओं को वित्तीय सहायता की जरूरत है। इसके लिए नाबार्ड और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय आवश्यक है।’ राज्य में मूलभूत सुविधाओं एवं विभिन्न योजनाओं-परियोजनाओं के लिए नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए उन क्षेत्रों की समीक्षा करने के साथ उसकी प्राथमिकता तय करके निश्चित प्रारूप तैयार किया जाए। इसके लिए नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारियों से समन्वय बनाए रखें, ऐसा आदेश मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को दिया।