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महाराष्ट्र सरकार ने आगामी स्थानीय उपचुनाव के मद्देनजर ओबीसी कोटा को लेकर अध्यादेश लाने का फैसला लिया है। मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी की सीमा के आदेश के दायरे में रहते हुए ऐसा किया जाएगा।
सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसका फैसला लिया गया। बैठक के बाद छगन भुजबल ने बताया कि कैबिनेट ने फैसला लिया है कि स्थानीय उप चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए एक अध्यादेश लाया जाएगा। किस क्षेत्र में ओबीसी की कितनी आबादी है, इसके आधार पर आरक्षण तय होगा।
भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मामले का अध्य्यन कर कोटा तय करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ जिलों में कोटा 10 से 12 फीसदी कम हो जाएगा, लेकिन ओवरऑल 90 फीसदी लोगों को इस चुनावी कोटा का फायदा होगा।  बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में ओबीसी कोटा को लेकर आदेश सुनाया था कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता। निगम और जिला परिषद  चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण तय किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बुधवार को औरंगाबाद में जालना रोड पर प्रदर्शन किया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने अमरप्रीत चौक पर नारे लगाए जिसके बाद उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उन्हें क्रांति चौक पुलिस थाने ले जाया गया। भाजपा की प्रदेश इकाई के महासचिव अतुल सावे ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार ने विरोध प्रदर्शन को बलपूर्वक दबाने का काम किया।
भाजपा जिला इकाई के अध्यक्ष संजय केनेकर ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले भी मराठा समुदाय को मूर्ख बनाया था और अब वे ओबीसी समुदाय को बेवकूफ बना रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार से अपील की थी कि वह ओबीसी जनसंख्या को लेकर अदालत में आंकड़े पेश करे। राज्य सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया और समुदाय को न्याय नहीं मिला।

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