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मुंबई : शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ जमकर हमला बोला है। एमएलसी के लिए सरकार द्वारा दिए गए 12 नामों पर 6 महीने बाद भी निर्णय ना लेने की वजह से ठाकरे और राज्यपाल में ठनी हुई है। इस बात पर शिवसेना ने लिखा है कि वरिष्ठों का व मेहमानों का सम्मान करना महाराष्ट्र की परंपरा है। अच्छों के लिए हम सब कुछ समर्पित कर सकते हैं लेकिन नालायकों के सिर पर डंडा भी मारते हैं। ये भी हमारे संत सज्जन हमसे कहकर गए हैं। राज्यपाल को करने के लिए कई काम हैं। फाइलों पर बैठे रहने की बजाय यह काम करने से उनका नाम रोशन होगा।

सामना ने लिखा है कि महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने विधान परिषद में 12 सदस्यों को मनोनीत करने की सिफारिश की। इस सिफारिश को 6 महीने बीत गए। राज्यपाल निर्णय लेने को तैयार नहीं हैं। इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्यपाल से सवाल पूछा है। विधान परिषद में 12 मनोनीत सदस्यों की समस्या अब उच्च न्यायालय पहुंच गई है। महाराष्ट्र का मंत्रिमंडल बहुमत से निर्णय लेकर एक फाइल राज्यपाल के पास भेजता है व राज्यपाल 6 महीने उस पर निर्णय नहीं लेते हैं। इसे मंद गति कहा जाए या कुछ और?

सामना ने लिखा है कि अब तो फाइल प्रकरण का रहस्य और भी गहराता जा रहा है। क्योंकि 12 लोगों के प्रस्तावित नामों की सूची वाली यह फाइल राज्यपाल सचिवालय से अदृश्य होने की जानकारी सामने आई है। आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने इस संदर्भ में जानकारी मांगी थी। इस पर ऐसी कोई सूची अथवा फाइल उपलब्ध नहीं होने से कौन-सी जानकारी देंगे? ऐसा राज्यपाल कार्यालय ने बताया। यह तो हैरान करने वाला मामला न होकर सीधे-सीधे भूतों वाली हरकत ही है। वास्तव में इसे एक रहस्यमय गुप्त विस्फोट कहा जा सकता है। महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून है। उसमें भूत-प्रेत, जादू-टोना के लिए स्थान नहीं है।

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