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मुंबई : मानसून के दौरान काफी संख्या में लोग संक्रामक बीमारियों की चपेट में आते हैं, लेकिन इस वर्ष मुंबई में मानसूनी बीमारियों का प्रकोप काफी कम नजर आया. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वर्ष सितंबर महीने की तुलना में इस वर्ष काफी कम मामले सामने आए हैं. हालांकि चौपाए जानवरों के संक्रमित मल-मूत्र के संपर्क में आने से होने वाली लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी के कारण एक 16 वर्षीय किशोर की सायन अस्पताल में मौत हो गई. कम मामलों को लेकर एक्सपर्ट्स ने अंडर रिपोर्टिंग, होम ट्रीटमेंट व कोविड पर ज्यादा फोकस होने की बात कह रहे हैं.

मानसून से संबंधित सभी बीमारियों से ग्रसित होने वालों की संख्या में काफी गिरावट देखने को मिली है. मनपा स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो सितंबर 2019 की तुलना में सितंबर 2020 में डेंगू के मामलों में 94 प्रतिशत, दूषित खानपान से होने वाली हेपेटाइटिस ए और ई में 86 प्रतिशत और गैस्ट्रो में 79 प्रतिशत, स्वाइन फ्लू में 89 प्रतिशत, मलेरिया में 10 प्रतिशत और लेप्टो के मामलों में 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. गौरतलब है कि गत वर्ष सितंबर में लेप्टो से ग्रसित 3 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, जबकि इस वर्ष सितंबर में एक मौत हुई है. मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमरे ने कहा कि मुंबई में हुई बारिश देख हमने डेंगू और लेप्टो दोनों के मामलों में वृद्धि होने की आशंका जताई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 

इस बार मानसूनी बीमारियों से ग्रसित होने वालों की संख्या काफी कम है और मौत के आंकड़े भी कम है. आंकड़ों में कमी के कई कारण हो सकते हैं. जैसे लोगों में जागरूकता, साफ सफाई, घरों से बाहर कम निकलना, बाहर के खानपान से परहेज है. इस संदर्भ में जन आरोग्य अभियान के समन्वयक डॉ. अभिजीत पानसरे ने कहा कि कोविड के कारण सभी का फोकस कोरोना मरीजों पर है. ऐसे में हो सकता है कि कुछ मरीज अंडर रिपोर्ट हुए हों. लोग बीमार होने पर अस्पताल में जाने से भी डर रहे हैं और ठीक होने के लिए घरेलू नुस्खे अपना रहे हैं. ऐसे में हो सकता है कि कुछ मरीज अस्पताल पहुंचे ही नहीं. एकाएक मामलों में इतनी कमी कैसे हो सकती है ? 


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