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मुंबई : राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार अभी सूबे में धार्मिक स्थल खोलने के पक्ष में नहीं है। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि दिशानिर्देशों के साथ भी धार्मिक स्थलों को खोलना व्यावहारिक और समाधानकारक नहीं है और उसने कोविड-19 की स्थिति सुधरने तक ऐसा नहीं करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार हाई कोर्ट में एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की जनहित याचिका का जवाब दे रही थी। एनजीओ ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह राज्य में मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए खोलने का निर्देश दे। याचिकाकर्ता के वकील दीपेश सिरोया ने अदालत से एक निश्चित समय में श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने जैसे प्रतिबंधों के साथ मंदिरों कोखोलने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

महाधिवक्ता आशुतोष कुभंकोणि ने मंगलवार को न्यायमूर्ति अमजद सैयद की अगुवाई वाली पीठ से कहा, 'राज्य सरकार ने विचार किया लेकिन उसने तय किया कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामले के चलते उपासना स्थलों को खोलना अभी व्यावहारिक नहीं है।' राज्य सरकार ने अपने निर्णय की सूचना देते हुए सोमवार को उच्च न्यायालय ने हलफनामा दिया था। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव किशोर निंबालकर के माध्यम से दाखिल किए गए हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि अतीत में खासकर सब्जी मंडी में और गणेश उत्सव के दौरान भीड़ प्रबंधन के संदर्भ में अनुभव से सुरक्षा दिशानिर्देशों के खुल्लम खुल्ला उल्लंघन सामने आया है। राज्य सरकार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का धर्म के पालन का संवैधानिक अधिकार पर जनव्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य की शर्त होती है तथा जन स्वास्थ्य बनाए रखना सर्वोपरि है।


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