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कानपुर के विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले की जांच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। इसके लिए पुलिस विभाग भी तैयारियों में जुटा हुआ है।

पीयूसीएल एवं अन्य बनाम भारत सरकार एवं अन्य के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका में तीनों के एनकाउंटर की एसआईटी गठित कर जांच कराने एवं सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का अनुरोध किया गया है। डीजीपी मुख्यालय में एसएसपी (विधि प्रकोष्ठ) जीएन खन्ना की तरफ से कानपुर नगर के एसएसपी दिनेश कुमार पी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सर्वेश सिंह बघेल को सभी जरूरी अभिलेख उपलब्ध करा दिया जाए। यह भी कहा गया है कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड से संपर्क कर उन्हें मामले से संबंधित सभी तथ्यों से अवगत करा दिया जाए।

गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर में मार गया। कानपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या मामले में विकास दुबे मुख्य आरोपी था। इस वारदात के बाद विकास दुबे पर 5 लाख का इनाम रखा गया था। पुलिस की माने तो उज्जैन से कानपुर लाते समय विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। इस दौरान एनकाउंटर हुआ और वह मारा गया।

इसके अलावा गुरुवार प्रभात मिश्रा व बुधवार को अमर दुबे पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। फरीदाबाद में गिरफ्तार हुए प्रभात को पुलिस कानपुर ला रही थी तभी बीच रास्ते में प्रभात ने पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस ने भी गोली चलाई तो प्रभात घायल हो गया, अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वहीं, अमर दुबे कुख्यात बदमाश विकास दुबे के चचेरे भाई संजीव दुबे का बेटा था। पिछले कई सालों से अमर अपने चाचा विकास के साथ ही रहता था। अमर के खिलाफ चौबेपुर थाने में पांच मुकदमे दर्ज हैं और 25 हजार रुपए का इनाम घोषित था। बुधवार तड़के सुबह हमीरपुर में एसटीएफ ने मुठभेड़ के दौरान अमर दुबे मार गया।

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