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मुंबई : संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री या मंत्रिपद की शपथ लेता है तो, उस व्यक्ति को छह महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद इन दो में से एक सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसलिए उन्हें 27 मई 2020 तक दोनों सदनों में से एक का सदस्य बनना होगा। 

दरअसल, 24 अप्रैल को राज्य विधानमंडल की नौ सीटें खाली हो रही हैं। हालांकि कोरोना के चलते केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन पदों के लिए होने वाले चुनाव स्थगित कर दिए है। अन्यथा, उद्धव ठाकरे नौ सीटों में से एक के लिए चुने गए होते और विधान परिषदमें में जाते। लेकिन चुनाव  स्थगित किये है। इसलिए राज्य मंत्रिमंडल ने 9 अप्रैल को सिफारिश की है कि, राज्यपाल नियुक्त दो खाली पदों में से एक में उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में नियुक्त किया जाए। हालांकि राज्यपाल ने अभीतक शिफारिश को मंजूरी नहीं दी है। 

इस बिच महाराष्ट्र विधान सचिवालय के सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव अनंत कलसे ने कहा कि, राज्यपाल को इस सिफारिश को मंजूरी देनी होगी। इस संबंध में वे सविधान से बंधे है। संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को कार्यकारी अधिकार होते है। हालांकि राष्ट्रपति और राज्यपाल को यह अधिकार नहीं होते। घटना के अनुच्छेद 73, 74, या 163 या 164 के तहत मंत्रिमंडल द्वारा की गई शिफारिश राष्ट्रपति या राज्यपाल के लिए बाध्यकारी होती है। इसलिए अनंत कलसे ने कहा कि, राज्यपाल को उद्धव ठाकरे के बारे में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार करना होगा। 

अगर राज्यपाल ने सिफारिश स्वीकार नहीं की तो क्या विकल्प होंगे?

कलसे ने बताया कि, अगर राज्यपाल द्वारा उद्धव ठाकरे को विधान परिषद पर नियुक्ति नहीं की जाती है तो महाविकास अघाड़ी के सामने अन्य विकल्प है। 

पहला विकल्प – केंद्रीय चुनाव आयोग ने 24  को विधान परिषद के नौ रिक्त सीटों के चुनाव को स्थगित कर दिया है। लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग से अनुरोध करना होगा कि चुनाव जल्द हो। ताकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यह चुनाव लड़कर सदस्य बन सकेंगे और मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे। 

दूसरा विकल्प – राज्यपाल से फिर से अनुरोध करना होगा कि, मंत्रिमंडल से की गई सिफारिस का जल्द से जल्द स्वीकार करें। 

अंतिम विकल्प – राज्यपाल ने इस सिफारिश को स्वीकार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी। धारा 32 और 226 के तहत राज्यपाल को आदेश देने केअधिकार न्यायलय को है। इसके लिए न्यायालय ने राज्यपाल को सिफारिश को मंजूरी देने का आदेश दे, ऐसी अनुरोध याचिका न्यायालय में दाखिल करनी पड़ेगी। न्यायलय में अनुरोध करने के बाद न्यायलय राज्यपाल को इस संबंध में आदेश दे सकती है। इसलिए उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री पद नहीं जायेगा ऐसा डॉ कलसे द्वारा व्यक्त किया गया। 


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