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मुंबई : देश की सबसे बड़ी महानगरपालिका बीएमसी का मंगलवार को वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश होगा। करीब डेढ़ करोड़ की आबादी वाली मुंबई को बजट का बेसब्री से इंतजार है और काफी उम्मीदें भी। इसमें पानी की किल्लत दूर करना, स्कूलों में बेहतर शिक्षा व्यवस्था, अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं, अच्छी सड़कें और बरसात में जलजमाव से मुक्ति के साथ साफ-सफाई शामिल है। बजट में आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए खर्चे में कटौती का भी प्रावधान प्रमुखता से होगा। राजस्व आय में घाटा और आर्थिक मंदी का सीधा असर बीएमसी पर पड़ा है। इसके बावजूद आर्थिक वर्ष में कोई नया कर न लगाते हुए पुरानी परियोजनाओं को गति देने का दबाव बीएमसी पर रहेगा। बीएमसी कमिश्नर प्रवीण परदेशी मंगलवार को स्थायी समिति को वर्ष 2020-21 का बजट सौंपेंगे। सड़क, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और मैदानों का बजट में विशेष प्रावधान होने की उम्मीद है। साथ ही खर्चे और आय में तालमेल बिठाते हुए मैदान, तालाब, सभागृह, किलों और स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स को बजट में बढ़ावा मिल सकता है। आर्थिक रूप से देश की सबसे मजबूत महानगरपालिका पर आर्थिक मंदी की तलवार लटकी है। रियल इस्टेट सेक्टर में मंदी, नए प्रॉपर्टी टैक्स में कमी और कैपिटल वैल्यूएशन टैक्स लागू नहीं होने से बीएमसी पर भार बढ़ा है। पिछले बजट के इतिहास को देखते हुए इस बार वास्तविक बजट पेश होने की उम्मीद है। वर्ष 2016-17 में 37 हजार करोड़ तक बजट पहुंचा था, तत्कालीन महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर के निर्देश पर वर्ष 2017-18 में 25 हजार 141 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया। पिछले वर्ष 2018-19 में बजट 30 हजार 685.99 करोड़ का पेश किया गया था। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2020-21 का बजट भी 30 हजार करोड़ के आस-पास होगा।

सड़क, पानी, पुलों की मरम्मत, सीवरेज, कचरा, प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं पर खर्च में प्रशासन कोई कमी नहीं करेगा। मुंबई में शुरू नाइट लाइफ को देखते हुए बजट में फूड ट्रक योजना की घोषणा हो सकती है। साथ ही मियावाकी वन योजना, मैदान, उद्यान और पर्यटन स्थलों के विकास, ज्येष्ठ नागरिकों के लिए वर्लपूल सेंटर और स्वच्छता गृहों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। विकास के लिए बजट में तय की गई निधि का उचित उपयोग न होने से बीएमसी के सामने वर्षों से अटकी परियोजनाओं को गति देने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। आयुक्त पहले ही कह चुके हैं कि किसी भी विकास कार्य के लिए जो निधि लगेगी, वह दी जाएगी। आयुक्त ने पिछले दिनों कहा था कि आने वाले समय में खर्चों में कमी कर मुंबई में सड़कें, कोस्टल रोड, गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड, गरगाई झील परियोजना को समय पर पूरा करने पर फोकस होगा। बीएमसी के पास अरबों रुपये जमा है। बीएमसी डिपॉजिट को तोड़े बिना पीपीपी मॉडल से विभिन्न योजनाओं को पूरा किया जाए। भारी बारिश में जमा हुए पानी को स्टोर करने के लिए भूमिगत तालाब और नरीमन पॉइंट से कफ परेड तक पहुंचने के लिए नई सड़क का निर्माण शामिल है।


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