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अमरोहा : उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में साल 2008 में एक ऐसा सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस वारदात को अंजाम देने वाले कातिल ने पुरुष, महिलाओं के साथ-साथ मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा था. सबकी गर्दन उनके धड़ से अलग कर दी थी. बाद में कातिल गिरफ्तार किए गए, जो एक जोड़ा था. जी हां एक महिला और एक पुरुष. उन दोनों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. इसी मामले में दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम टिप्पणी की. इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले सलीम और शबनम के वकील आंनद ग्रोवर ने अदालत से उनकी गरीबी और अशिक्षा का हवाला देते हुए उनकी सजा में रहम की मांग की. इस पर कोर्ट ने कहा कि देश में बहुत से लोग गरीब और अशिक्षित हैं. आप ये बताइये कि सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा देने के अपने फैसले में कहां गलती की है. इस तरह से दोषियों को सजा मिलना तय माना जा रहा है. लेकिन अभी भी कई लोग इस सामूहिक हत्याकांड के बारे में जानना चाहते हैं. चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर आज से 12 साल पहले अमरोहा में हुआ क्या था. जिले के हसढ़ेंनपुर कोतवाली क्षेत्र में गांव बावनखेड़ी है. जहां शिक्षक शौकत, उनकी पत्‍‌नी हाशमी, पुत्र अनीस, पुत्रवधू अंजुम, पोता अर्श, पुत्र राशिद, भांजी राबिया और पुत्री शबनम के साथ रहते थे. शौकत परिवार का हर लिहाज से सम्पन्न था. वो खुद तो शिक्षक थे ही साथ ही उनकी बेटी शबनम भी शिक्षा मित्र के रूप में काम कर रही थी.

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