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मुंबई : आगामी शैक्षणिक वर्ष से कॉलेज मनचाही फीस नहीं वसूल पाएंगे। कॉलेजों द्वारा वसूली जा रही मनचाही फीस पर रोक लगाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) एक मसौदा तैयार कर रहा है। प्रारंभिक तौर पर इस मसौदे के तहत कॉलेज 15 प्रतिशत से ज्यादा मुनाफा नहीं कमा सकेंगे। फिलहाल देशभर के अनुदान प्राप्त और निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रफेशनल कोर्सेस के लिए मनमानी फीस वसूलते हैं। अगर इस मसौदे को ठीक से लागू किया जा सका, तो शिक्षा माफिया पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा। यूजीसी जिस मसौदे पर काम कर रहा है, उसके तहत कॉलेज का खर्च, उपलब्ध सुविधाएं और विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर पाठ्यक्रमों की फीस तय होगी। कुछ दिनों पहले UGC द्वारा आयोजित बैठक में प्रफेशनल कोर्सेस की फीस को लेकर चर्चा हुई थी। बैठक में प्रफेशनल कोर्सेस की फीस नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्णय लिया गया है।

फीस तय करने के लिए UGC द्वारा समिति का गठन किया जाएगा। समिति देशभर के शिक्षा संस्थानों का दौरा करेगी। कॉलेजों द्वारा वसूली जा रही फीस वाजिब है या नहीं, इसकी समीक्षा की जाएगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर पाठ्यक्रमों की फीस निर्धारित की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, फीस की वजह से कोई भी विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहे, इसलिए यह योजना तैयार की गई है। कोई भी कॉलेज सालभर में जितनी राशि शिक्षक के वेतन, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करता है, उससे अधिकतम 15 प्रतिशत अधिक राशि ही फीस के तौर पर वसूल कर सकेगा। बीते कुछ सालों में मुंबई समेत देशभर में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ी है। केवल मुंबई में ही तीन निजी विश्वविद्यालय हैं। मुंबई विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य और प्रिंसिपल डॉ. एनएन पाण्डेय के अनुसार, निजी विश्वविद्यालय अभ्यासक्रम से लेकर फीस की राशि खुद तय करते हैं। अनुदान प्राप्त कॉलेजों की तुलना में निजी कॉलेजों की फीस तीन से चार गुना अधिक होती है। सीनेट सदस्य वैभव नरवडे के अनुसार, फीस नियंत्रित करने के साथ ही UGC को कॉलेज में योग्य शिक्षक की नियुक्ति पर भी ध्यान देना चाहिए। अधिकांश कॉलेजों ने प्रफेशनल कोर्सेस के लिए अयोग्य शिक्षकों को नियुक्त कर रखा है।


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