शिवसेना का कांग्रेस व वैचारिक रूप से विरोधी दलों के साथ तालमेल का रहा है इतिहास
मुंबई : उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण से पहले मुंबई शहर में कई स्थानों पर ऐसे पोस्टर लगाए गए जिनमें बाल ठाकरे और इंदिरा गांधी के बीच 70 के दशक के दौरान मुलाकात की तस्वीरें चस्पा दिखीं। शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने गुरुवार शाम को ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। सरकार में शिवसेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल हैं। शहर में विभिन्न स्थानों पर लगाए गए इन पोस्टरों में दिवंगत बाल ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अलावा एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भी तस्वीर है। जिन लोगों को शिवसेना के अतीत की जानकारी है उनके लिए उग्र हिंदुत्व की राजनीति के लिए जाने जानी वाली पार्टी द्वारा कांग्रेस और एनसीपी से समर्थन लेना चौंकाने वाला कदम नहीं है। शिवसेना का इतिहास वैचारिक विरोधियों के साथ सहयोगात्मक रुख प्रदर्शित करने और तालमेल का रहा है। इसमें शिवसेना द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों का समर्थन करना, पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव में कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं करने से लेकर बिल्कुल विपरीत विचारधारा वाली मुस्लिम लीग के साथ तालमेल शामिल है। पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें, शिवसेना ने 56 सीटें, एनसीपी ने 54 सीटें जबकि कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना ने पांच दशक से अधिक लंबे इतिहास में कांग्रेस के साथ औपचारिक और अनौपचारिक तालमेल किए हैं। शुरुआती दिनों में शिवसेना को अक्सर कांग्रेस के कई नेताओं एवं उसके विभिन्न गुटों ने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से समर्थन किया। जानेमाने राजनीतिक विश्लेषक सुहास पलशिकर 'इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली' में एक लेख में लिखते हैं कि शिवसेना की पहली रैली में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामराव अदिक मौजूद थे। 'द कजन्स ठाकरे..उद्धव ऐंड राज एंड इन द शैडो आफ देयर सेना' के लेखक धवल कुलकर्णी कहते हैं कि 1960 और 70 के दशक में पार्टी का इस्तेमाल कांग्रेस द्वारा शहर में श्रम संगठनों पर वाम दलों के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए किया गया। शिवसेना ने 1971 में कांग्रेस (ओ) के साथ तालमेल किया और मुंबई और कोंकण क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़े किए लेकिन वे असफल रहे। ठाकरे ने 1977 में आपातकाल का समर्थन किया और उस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। कुलकर्णी ने कहा, '1977 में उसने मेयर चुनाव में कांग्रेस के मुरली देवड़ा का भी समर्थन किया।' उस समय शिवसेना का माखौल 'वसंतसेना' कहकर उड़ाया गया यानि 1963 से 1974 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे वसंतराव नाइक की सेना। पलशिकर लिखते हैं कि 1978 में जब जनता पार्टी के साथ तालमेल के प्रयास असफल हो गए तो शिवसेना ने कांग्रेस (आई) के साथ तालमेल किया जो कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाला धड़ा था। शिवसेना ने मुस्लिम लीग के साथ भी तालमेल किया।