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मुंबई : दो राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस बगावत से जूझ रही है। पहले हरियाणा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने टिकटों में खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया और अब महाराष्ट्र में संजय निरुपम ने बागी तेवर दिखाते हुए प्रचार न करने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र में गुरुवार को जारी कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट के बाद निरुपम ने ट्वीट कर कहा कि शायद पार्टी को अब उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं रह गई है। वहीं हरियाणा में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने आरोप लगाया है कि हरियाणा कांग्रेस अब हुड्डा कांग्रेस हो गई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को अच्छे उम्मीदवार तलाशने में परेशानी हो रही है। गुरुवार को कांग्रेस की जारी उम्मीदवारों की लिस्ट से इसका संकेत मिलता है। इसमें पार्टी की ओर से ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, जो दो दिन पहले तक बीजेपी में जाने को तैयार थे। हालांकि इससे पार्टी काडर को धक्का लगा है। उनका कहना है कि पार्टी को उनकी वफादारी का सम्मान करते हुए मिसाल पेश करनी चाहिए थी। मुंबई कांग्रेस के प्रमुख संजय निरूपम ने भी ट्विटर पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से नेता विपक्ष रहे राधाकृष्ण विखे पाटिल समेत कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।

कांग्रेस ने गुरुवार को जो 20 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की उसमें अकालकोट से सिद्दाराम म्हात्रे और मलाड वेस्ट से असलम शेख के नामों को लेकर हैरानी जताई जा रही है। ये दोनों बीजेपी में शामिल होने के लिए उससे बातचीत कर रहे थे। उन्हें 30 सितंबर को मुंबई में बीजेपी में शामिल होना था, लेकिन बीजेपी के अंदर इन विधायकों को लेकर नाराजगी के चलते ऐसा नहीं हो सका। बीजेपी से मायूसी हाथ लगने के तुरंत बाद इन विधायकों को अपनी पार्टी से टिकट मिलने में समय नहीं लगा, जबकि कांग्रेस में सबको पता था कि दोनों बीजेपी में जाने की कोशिश कर रहे हैं। 

कांग्रेस के इस फैसले को लेकर पार्टी के नेताओं को धक्का लगा है। कुछ नेताओं ने कहा कि पार्टी को एक मिसाल तय करनी चाहिए और वफादारी का सम्मान होना चाहिए। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, 'कांग्रेस और बीजेपी में यही अंतर है। क्या बीजेपी किसी ऐसे नेता को टिकट देती, जो दो दिन पहले तक प्रतिद्वंद्वी दल में जाने की कोशिश कर रहे थे। पार्टी को वफादारी का सम्मान करना चाहिए। उनका कहना था कि कांग्रेस की मुंबई यूनिट के सामने एक मुश्किल चुनौती है। लोकसभा चुनाव के डेटा से पता चलता है कि कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायकों की सीटें ही सुरक्षित हैं, जबकि शहर में 26 विधानसभा सीटें हैं। सुरक्षित सीटों में मुम्बादेबी से अमीन पटेल, धारावी से वर्षा गायकवाड़ और चांदीविली से नसीम खान हैं। कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि पार्टी वर्षों से समान उम्मीदवारों को दोहरा रही है। उनका कहना था, 'जब युवाओं को पार्टी में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा तो वे पार्टी के लिए कार्य क्यों करेंगे।'

मुंबई कांग्रेस के प्रमुख संजय निरुपम ने भी बागी रुख अपना लिया है। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी को अब मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है। मैंने विधानसभा चुनाव के लिए मुंबई में केवल एक नाम की सिफारिश की थी। मैंने सुना है कि उस नाम को भी अस्वीकार कर दिया गया है। मैंने नेतृत्व को पहले बता दिया था कि ऐसी स्थिति होने पर मैं चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लूंगा। यह मेरा अंतिम फैसला है।

सूत्रों ने कहा कि निरुपम मुंबई में वर्सोवा सीट से रईस लश्कारिया के लिए टिकट चाहते थे। हालांकि, पार्टी ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया। निरुपम के करीबी लोगों ने बताया कि उनकी अभी पार्टी छोड़ने की योजना नहीं है, लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं करेंगे। बता दें कि इससे पहले बुधवार को हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने समर्थकों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन किया था। तंवर का आरोप है कि कांग्रेस ने पुराने लोगों को नजरअंदाज करके नए शामिल होने वाले लोगों को टिकट दिया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने 5 करोड़ रुपये टिकट बेचने का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने में अपने गुट की अनदेखी से नाराज होकर पार्टी की सभी कमिटियों से इस्तीफा दे दिया है।

तंवर ने कहा कि टिकट वितरण में युवा पीढ़ी की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। कई-कई बार हारे हुए लोगों को टिकट दिया गया है। जीतने का दम रखने वाले प्रत्याशियों को गुटबाजी की भेंट चढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे के बाद लगता है कि हरियाणा कांग्रेस अब हुड्डा कांग्रेस हो गई है। इसलिए उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखकर उनको सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने को कहा है। वह कांग्रेस में केवल साधारण कार्यकर्ता बनकर काम करेंगे।


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