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अमेरिका की एक महिला से डिजिटली दुष्कर्म करने के मामले में निचली अदालत से सात साल की सजा पाए दोषी को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिये जाने और सजा पर रोक लगाए जाने के बाद हाल में सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर वीडियो बनाने वाली पीड़िता ने आरोप लगाया कि वहां उसे किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली थी।

यह मामला 2013 का है जब दिल्ली निवासी राजीव पंवार ने दक्षिण दिल्ली स्थित अपने घर में बतौर किरायेदार रहने वाली अमेरिकी नागरिक का यौन उत्पीड़न किया। अमेरिकी महिला अपने पति के साथ रह रही थी। महिला ने जून 2013 में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। एक निचली अदालत ने फरवरी 2019 में आरोपी को दोषी मानते हुए उसे सात साल कैद की सजा सुनाई थी। 

जब कोई शख्स अपनी उंगली या उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए किसी से दुष्कर्म करता है तो इसे 'डिजिटल रेप कहते हैं।  पवार ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने 25 हजार रुपये का निजी मुचलका भरने पर पांच जुलाई को उसे जमानत दे दी थी और कहा कि क्योंकि मामले के निस्तारण में कुछ वक्त लग सकता है, ऐसे में याचिका के लंबित रहने तक याचिकाकर्ता की सजा को स्थगित रखा जाए। 

उच्च न्यायालय के आदेश से व्यथित महिला ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने एक वीडियो बनाया और शिकायत की कि जिस आदमी ने भारत में उस पर हमला किया उसे जमानत दे दी गई। वीडियो में महिला ने कहा, “पिछले महीने मुझे बताया गया कि जिस व्यक्ति ने मुझ पर हमला किया, जिसे उसके अपराध की सजा दिलाने के लिये मुझे लड़ना पड़ा और उसे भारत में सजा मिली, उसे याचिका के बाद जमानत दे दी गई है।

इसके बाद उसने 2013 में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना का विवरण दिया और कहा आप सजा पाए हुए अपराधियों को जमानत नहीं देते हैं। उसने वीडियो में कहा कि मैं यहां सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास आई हूं ताकि उन दस्तावेजों को अधिसूचित करा सकूं जिससे उच्च न्यायालय को यह पता रहे कि मेरा वकील कौन है और मैं मुकदमे में हूं तथा एक बार फिर मुझे भारत में वाणिज्य दूतावास की सेवा और सहायता नहीं मिली...। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति चंद्र शेखर ने सजा पर रोक लगाते हुए कहा था कि पंवार हिरासत में पांच महीने से ज्यादा का समय गुजार चुका है। पीड़िता की तरफ से मौजूद वकील करुणा नंदी ने अदालत से अनुरोध किया कि पंवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र छोड़कर न जाने का आदेश दिया जाए और मामले की सुनवाई तेजी से की जाए। अदालत ने महिला वकील की मांग को स्वीकार करते हुए आरोपी को बिना इजाजत एनसीआर छोड़कर नहीं जाने का आदेश दिया। दोषी को पीड़िता से किसी भी तरह से संपर्क की कोशिश न करने का भी निर्देश दिया गया है।


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