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मुंबई, देश की अलग-अलग अदालतों में 58 लाख 70 हजार से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. इस आधार पर अक्सर हमारी न्याय व्यवस्था पर सवाल उठते हैं. लंबित मामलों में फंसे कई बेगुनाह लोगों की ज़िंदगी तबाह हो जाती है. ऐसा ही एक मामला 1993 मुंबई दंगों से जुड़ा है. इसमें मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने 28 साल बाद एक आदमी को ये कहते हुए बरी किया वो निर्दोष है. अदालत ने कहा है कि ये शख्स सिर्फ़ दंगे की घटना का प्रत्यक्षदर्शी था.
इस शख्स का नाम है राशिद अहमद मोहम्मद इलाख खान. घटना के समय उनकी उम्र 34 बरस थी. अब राशिद 62 साल के हो चुके हैं. उनको हाल ही में मुंबई के एक सेशन कोर्ट ने सारे आरोपों से बरी कर दिया था.
राशिद अहमद खान का केस 12 जनवरी 1993 को हुई एक घटना से जुड़ा है. उस दिन मुंबई के पूर्वी वडाला इलाके में दो गुटों के बीच पथराव हुआ था. अदालत में पुलिस द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया था,



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